कर्तव्य पथ पर बढ़े चलो
कर्तव्य पथ पर बढ़े चलो
कर्म का मंदिर गढ़े चलो
न मन मे कोई अविश्वास हो
कुछ पाने की न आस हो
भय न कभी भी पास हो
लालच का न मनमे बास हो
हर तरफ यही आवाज हो
कर्तव्य पथ पर बढ़े चलो
कर्म का मंदिर गढ़े चलो
रास्ते मे तुम मत रुको
कठिनाईयों से मत झुको
संकल्प को तुम साथ लो
मनमे एक विश्वास लो
जय पराजय से मत डरो
कर्तव्य पथ पर बढ़े चलो
कर्म का मंदिर गढ़े चलो
सुख भी चलकर आएगा
दुख भी तुम्हे विचलायेगा
सुख को साथ लेकर चलो
दुख को पीछे छोड़ चलो
बस सधी हुई रफ्तार लो
कर्तव्य पथ पर बढ़े चलो
कर्म का मंदिर गढ़े चलो
फिर क्या तुमसे होपायेगा
विश्वास ही डगमगाएगा
कर्म पथ से तुम मत डिगो
मन को स्थिर कर चल पड़ो
बिना रुके फिर चल पड़ो
कर्तव्य पथ पर बढ़े चलो
कर्म का मंदिर गढ़े चलो
देखना वो है बड़ा चपल
सारे बवालों का घपल
क्रोध तुम्हे उकसाएगा
उसे भगा तुम फिर चलो
कुछ दूर उसे छोड़ चलो
कर्तव्य पथ पर बढ़े चलो
कर्म का मंदिर गढ़े चलो
एक दिन वो भी आएगा
जब पथ तुम्हारा थर्राएगा
घमंड जब फन फहरायगा
उसे वहीं दबा कर चलो
कर्म राह पर चल पड़ो
कर्तव्य पथ पर बढ़े चलो
कर्म का मंदिर गढ़े चलो
मोह की बस तुम ढाल लो
माया को ईश प्रशाद लो
न्याय ध्वजा तुम हाथ लो
निज कर्तव्य की ही राह लो
बस कर्म पथ पर चल पड़ो
कर्तव्य पथ पर बढ़े चलो
कर्म का मंदिर गढ़े चलो
By
Pradeep Mahaur
No comments:
Post a Comment