कांग्रेस कम्युनिस्ट और मिडिया का अभिव्यक्ति की आज़ादी पे दोगलापन
आज कल अक्सर कम्युनिस्टो और मिडिया के एक विशिष्ट वर्ग द्वारा हमेशा ये कहा जाता है के "देश में अघोषित इमरजेंसी लग गयी है" देश में अभिव्यक्ति की आझादी नही रही" बहरहाल इनकी अभिव्यक्ति की आझादी ये है के इन्हें देशविरोधी कार्य बे रोकटोक करने दिया जाये, न्यूज़ रूम में बैठ के आतंकी हमले के वक़्त आतंकियों को सुरक्षित राह बता कर उनकी मदद करने की आझादी दी जा सके और देश के माने हुवे यूनिवर्सिटी में देश को तोड़ने के नारे लगाने दिए जाये। हा भाई इनके अभिव्यक्ति की आझादी का वर्जन यही है।
पर अगर इमरजेंसी की बात ना भी करे तो हम देख सकते है के कांग्रेस का बाकि कार्यकाल भी इमरजेंसी से कम नही था। और इसका प्रत्यय आता है बॉलीवुड से। जी हा अगर हम हालिया रिलीज होने वाली और प्रतीक्षित फिल्मो का पैटर्न देखेंगे तो हमे समझ में आएगा के कांग्रेस ने अपने काले कारनामे छुपाने के लिए किस तरह इतिहास के अहम मुद्दों पे कभी फिल्म नही बनने दी और साथ ही अपनी वाहवाई करने वाली फिल्मो को कैसे प्रमोट किया।
पिछले कुछ दिनों से भारतीय फ़िल्म जगत में मानो एक परिवर्तन आ गया है। कांग्रेस राज में हम सोच भी नही सकते थे के कभी 31st October जैसे नाम की कोई फ़िल्म बन भी पायेगी, क्यों की वो दिन कांग्रेस के दामन पे एक दाग की तरह है। जिस दिन हजारो सीख भाइयो को कांग्रेस कार्यकर्ताओ ने मौत के घाट उतारा था। जिस दिन की शुरवात पुर्व प्रधान मंत्री स्वर्गिय राजीव गांधी के उस बयान से होती है जिसमे उन्होंने कहा था के "जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तब धरती हिल जाती है"। आश्चर्य की बात ये है के 1984 के कई साल बाद होने वाले 2002 दंगो पे मोदीजी को गुनहगार दिखाने के लिये कांग्रेस ने बॉलीवुड का भी सहारा लिया और परजानिया और फ़िराक जैसी कई फिल्म बनाई जिसके चलते मोदीजी की छबि धूमिल की जा सके। पर कहते है ना "साच को आँच नही" मोदीजी को देश की सर्वोच्च अदालत ने निर्दोष करार दिया।
ऐसीही एक फ़िल्म और आ रही है जो कांग्रेस द्वारा पैदा किये उस काले पन्ने को उजागर करेगी जो स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे बुरा और भयावह दौर था। जी हा मै इमरजेंसी की बात कर रहा हु, और जो फिल्म इस इतिहास का काला सच बताएगी उसका नाम है "इंदु सरकार" मधुर भंडारकर द्वारा दिग्दर्शित की जाने वाली ये फ़िल्म इमरजेंसी के दौरान स्वर्गिय पंतप्रधान इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी द्वारा की जाने वाली अमानवीय घटनाओ को उजागर करेगी इसमें कोई शक नही है। पर हर बात पे अभिव्यक्ति की आझादी की पैरवी करने वाली कांग्रेस के दौर में कभी इस विषय पे फ़िल्म नही बन पायी। अब क्यों नही बन पायी ये समझने के लिये वाचक पर्याप्त सयाने है। और अब जब इस विषय पे फ़िल्म बनाने का किसीने निश्चय किया है तो अभिव्यक्ति की आझादी की सबसे कड़ी समर्थक कांग्रेस इस फ़िल्म का विरोध कर रही है। और कहे रही है के इस फ़िल्म को प्रदर्शित करने के पहले कांग्रेस नेताओ को दिखाई जाये। फिर वो तय करेंगे के फ़िल्म प्रदर्शित होने लायक है या नही। गौर करने वाली बात ये है के ये वही कांग्रेस है जो "उड़ता पंजाब" पे लगे बैन पे अभिव्यक्ति की आझादी का रोना रो के हाय तौबा मचा रही थी।
अपनी अभिव्यक्ति की आझादी के समर्थन के लिये जानी जाने वाली कांग्रेस पार्टी ने अपने कार्यकाल में कांग्रेस के भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली व्यंगात्मक फ़िल्म "किस्सा कुर्सी का" को प्रदर्शित नही होने दिया। इतना ही नही उस वक़्त के आला नेताओ के इशारे पे कांग्रेस कार्यकर्ताओ ने उस फ़िल्म की ओरिजनल रील तक जला डाली थी। बाद में ये फ़िल्म जनता सरकार के वक़्त में प्रदर्शित करायी गयी थी। साथ ही गुलजार साहाब द्वारा दिग्दर्शित फ़िल्म "आंधी" का भी यही हश्र हुआ। उसे भी कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में प्रदर्शित नही होने दिया था। कहते है उस फ़िल्म में स्वर्गीय माजी पंतप्रधान इंदिरा गांधी और उनके पती फिरोज गांधी के उतार चढ़ाओ भरे रिश्तों पे बनायीं गयी थी। ये फ़िल्म भी आगे चलके जनता सरकार के वक़्त ही बनायीं गयी।
"पार्टीशन 1947" नाम से एक और फ़िल्म आ रही है जिससे काफी उम्मीदे है के इतिहास के अनकहे पलो से वो आज की पीढ़ी को अवगत कराएगी। आनेवाली फिल्मो में एक और बेहद अहम फ़िल्म है "राग देश" जो की सुभाषचन्द्र बोस द्वारा स्थापित की गयी आझाद हिन्द फौज के शौर्य और पराक्रम का बखान करेगी। सोचने वाली बात ये भी है के आझादी के इतने साल बाद भी हमारे बच्चे आझाद हिन्द फौज के बारे में बेहद सिमित जानकारी रखते है। और रखे भी क्यों, हमारे देश के इतिहासकारो, फिल्मकारों और बुद्धिजीवियो को कभी कांग्रेस का गुणगान करने से फुरसत् ही नही मिली तो बाकियो के पराक्रम कब बताते।
ग़ाज़ी अटैक, The Accidental Prime Minister, परमाणु ये कुछ ऐसी फिल्म है जिनकी हम कांग्रेस कार्यकाल में बस कल्पना ही कर सकते थे।
वैसे "Satanic Verses" जैसी पुस्तक को तुष्टिकरण की राजनीती के लिये प्रतिबंधित करने वाली कांग्रेस जब अभिव्यक्ति की आझादी की बात करती है तब बड़ी क्यूट लगती है।
वैसे "Satanic Verses" जैसी पुस्तक को तुष्टिकरण की राजनीती के लिये प्रतिबंधित करने वाली कांग्रेस जब अभिव्यक्ति की आझादी की बात करती है तब बड़ी क्यूट लगती है।
साभार
अमोल सिद्धांशेत्तिवार
जबतक देश की जनता नहीं jagengi ye aisa hi karenge
ReplyDeleteHistory of Indian National Congress is ridden with manipulating historical facts
ReplyDeleteAND THE PERSON RESPONSIBLE WAS GANDHI
WHO LET OVER AMBITIOUS & CUNNING NEHRU RIDE INDIA''S DESTINY !
INDIA, RAJIV & SONIA THROUGH PUPPET MANMOHAN CARRIED IT ON !
STALWARTS LIKE NETAJI SUBHASH,PATEL WERE MADE REDUNDANT !
GANDHI HIMSELF WAS CONSIGNED TO STATUES & MEMORABILIA, AFTER HE WAS OF NO PRACTICAL USE !!!!!